Gandmool Nakshatra: क्या होता है गंडमूल नक्षत्र? जानें इसमें जन्में बच्चे का स्वभाव व भविष्य

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अश्वनी, आश्लेषा, मघा, रेवती, ज्येष्ठा और मूल Gandmool Nakshatra कहलाते हैं जिनके स्वामी बुध और केतु हैं। यदि किसी बच्चे की कुंडली में चंद्रमा इन नक्षत्रों में से किसी एक में है, तो ऐसा माना जाता है कि उसका जन्म Gandmool Nakshatra में हुआ है। जन्म कुंडली में नक्षत्र के प्रभाव के अनुसार उनके जीवन की दिशा तय होती है।

क्या होता है Gandmool Nakshatra?

ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों के बारे में बताया गया है, जिसमें से 6 Gandmool Nakshatra होते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर इस नक्षत्र में किसी बच्चे का जन्म होता है तो वो अपने माता-पिता के लिए समस्याएं लेकर जन्म लेता है और इस नक्षत्र को अशुभ माना जाता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों का जीवन तनाव से भरा रहता है और उनके परिवार में दरिद्रता आने लगती है। ये नक्षत्र चार चरणों में विभाजित है जिसका प्रभाव माता-पिता, भाई-बहन और परिवार के सभी सदस्यों पर होता है। चंद्रमा को एक नक्षत्र पार करने में लगभग एक दिन का समय लगता है। यदि बच्चे के जन्म के समय चंद्रमा इन नक्षत्रों के चार चरणों में से किसी एक में स्थित हो तो यह दोष जन्म कुंडली में मौजूद होगा।

Gandmool Nakshatra में जन्में बच्चे का स्वभाव व भविष्य

इस नक्षत्र में बच्चे की माता का जीवन समस्याओं से भरा होता है। संपत्ति में कमी होने लगती है। ऐसे जातकों को जीवनयापन में संघर्ष का सामना करना पड़ता है और उनके जीवन पर दुर्घटना का भय रहता है। इस नक्षत्र के बच्चे भाग्यहीन होते हैं और इन्हें स्वास्थ्य संबंधी कष्टों का सामना करना पड़ता है। Gandmool Nakshatra में जन्मे बच्चे का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ होता है।

ऐसा माना जाता है कि अगर इस नक्षत्र के बच्चे को सामाजिक गतिविधि से मुक्त कर दिया जाए तो वह किसी भी क्षेत्र में एक अलग जगह हासिल करेगा। अगर ये बच्चे अमंगल प्रभाव में है तो इनमें ईर्ष्या, आलस्य जैसी आदतें होंगी। इसमे जन्म लेने वाले जातकों का अपने परिवार के लोगों के साथ असंतोष एवं चिंताएं बनी रहती हैं।

Gandmool Nakshatra के शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं। अशुभ फल में जातक का जीवन परेशानियों से घिरा रहता है और ऐसे जातक अपने पिता के लिए कष्टकारी साबित होते हैं। यदि इस नक्षत्र के शुभ फल होते हैं तो जातक को उच्च पद प्राप्त होने के अवसर प्राप्त होते हैं। ऐसे लोगो को अपने दोस्तों से लाभ प्राप्त होता है। ऐसे लोगो का मन घूमने-फिरने और मनोरंजन कार्यों में ज्यादा रहता है और जीवन में विविधता पसंद होती है। समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

Gandmool Nakshatra के उपाय

इस नक्षत्र के दोष को कम करने के लिए “गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा” करना महत्वपूर्ण है। देवताओं की पूजा करने से इस नक्षत्र का दोष कम होता है। ऐसा माना जाता है कि बच्चे के जन्म के 27वें दिन इस पूजा को करना अनिवार्य है। आश्लेषा, ज्येष्ठा, और रेवती में जन्म लेने वालों को बुध ग्रह की पूजा करनी चाहिए और आकाशवाणी, माघ और मूल नक्षत्र वाले जातक भगवान गणेश की पूजा करके इस दोष को शांत कर सकते हैं। इस दोष को सही करने के लिए पालक का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए और सोमवार के दिन गौशाला में गायों को पालक और घास खिलानी चाहिए।

निष्कर्ष

Gandmool Nakshatra में जन्म लेने वाले बच्चों का जीवन परेशानियों से घिरा रहता है। गंडमूल दोष का अलग-अलग कुंडलियों पर अलग प्रभाव होता है। बुध देवता की पूजा करने से भी इस दोष को कम किया जा सकता है। कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनका जन्म मूल नक्षत्रों में हुआ था और जीवन में महान शिखर तक पर है। इसलिए इस नक्षत्र का असर हर व्यक्ति पर अलग होता है।

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