हिंदू धर्म में कुछ ऐसे नियम और कानून हैं जिनका पालन परिवार में सभी को करना अनिवार्य होता है। इसी तरह Sutak Kaal भी एक ऐसा समय होता है जिसके दौरान सभी शुभ कार्य कुछ समय के लिए रोक दिए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान अगर कोई भी शुभ कार्य किया जाए तो उसका विपरीत फल मिलता है। इस दौरान किसी भी देवी-देवता की पूजा नहीं की जाती है। मंदिर बंद रहते हैं। सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण से पहले के अशुभ समय को Sutak Kaal कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार इस अशुभ अवधि के दौरान पृथ्वी का वातावरण प्रदूषित माना जाता है।
Sutak Kaal क्या होता है?
Sutak Kaal का संबंध केवल ग्रह से ही नहीं बल्कि इसका सीधा संबंध जन्म और मृत्यु से होता है। यदि किसी परिवार में किसी बच्चे का जन्म होता है तो सूतक लग जाता है। लेकिन इसके अलावा ग्रहण से पहले का समय अशुभ माना जाता है और इसे सूतक कहा जाता है। इस चरण के दौरान, आस-पास बहुत सारी नकारात्मक और बुरी ऊर्जा का प्रवाह होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण से ठीक पहले यह काल शुरू हो जाता है। इसे भारत के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में इसे वृद्धि के नाम से जाना जाता है, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और उत्तर प्रदेश में इसे सूतक के नाम से जाना जाता है। हिंदू संस्कृति में ग्रहण को अशुभ माना जाता है। इसलिए परिवार के सभी सदस्य नियमों का पालन करते हैं।
ग्रहण के दौरान Sutak Kaal क्यों मानते हैं?
पारंपरिक मान्यता है कि इस काल के दौरान बुरी शक्तियां अधिक शक्तिशाली हो जाती हैं। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को खासतौर पर सुरक्षित रहने के लिए कहा जाता है। यह सलाह इसलिए दी जाती है ताकि नकारात्मक शक्तियां हावी न हो जाएं। साथ ही इस दौरान घर के मंदिर के दरवाजे भी बंद करना जरूरी होता है। ऐसी भी मान्यता है कि लोगों को अपनी आंखों को नुकसान से बचाने के लिए सूर्य और चंद्र ग्रहण देखने से बचना चाहिए।
Sutak Kaal के दौरान क्या करना चाहिए ?
- पूजा करना बंद करें: Sutak kaal के दौरान किसी भी प्रकार की पूजा या धार्मिक गतिविधियों से बचें।
- खान-पान संबंधी सावधानियां: इस दौरान खान-पान से बचें और ताज़ा खाना न बनायें।
- Sutak Kaal के बाद: इस काल के खत्म होने के बाद खाना खाने से पहले स्नान करना जरूरी होता है।
- सफाई और शुद्धिकरण: आसपास के वातावरण में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए घर और मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें।
- तुलसी का पौधा: इस काल के दौरान तुलसी के पौधे को न छुएं।
ग्रहण के दौरान मंदिर के दरवाजे बंद करके कुछ अन्य सावधानियां बरतने की भी सलाह दी जाती है। सूतक के दौरान देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी ढककर रखा जाता है। ग्रहण के दौरान पूजा करना या उन्हें छूना वर्जित है। अतः किसी भी भजन या कीर्तन में शामिल नहीं होना चाहिए। इस काल के दौरान केवल मंत्रों का जाप कर सकते हैं। ग्रहण के दौरान यज्ञ सहित सभी प्रकार के अग्नि अनुष्ठान करना वर्जित है। माना जाता है कि इससे अग्निदेव नाराज हो जाते हैं। ग्रहण काल और सूतक के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी भी तरह का काम नहीं करने चाहिए। साथ ही सिलाई-बुनाई का काम भी नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष
हिंदू धर्म में कुछ सख्त नियमों का पालन हर किसी को करने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से लोग सुरक्षित रह सकते हैं और अपने परिवार को बुरी शक्तियों से बचा सकते हैं। देवी-देवता नाराज न हों इसलिए शुभ कार्य वर्जित हैं। यही कारण है कि इस काल में किसी भी धार्मिक गतिविधि का आयोजन करना या उसमें भाग लेना अशुभ माना जाता है। Sutak kaal में भोजन खाना और पकाना बुरा माना जाता है। भोजन को अशुद्ध होने से बचाने के लिए उसमें तुलसी के पत्ते मिलाये जाते हैं।
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