ज्योतिष शास्त्र में ग्रह की स्थिति से ये सुनिश्चित किया जाता है कि जन्म के समय आपकी कुंडली में किसी भी ग्रह की स्थिति क्या है। डिग्री के पता होने से कुंडली को और विस्तार से पढ़ा जा सकता है और व्यक्ति के व्यवहार, शक्तियों, चुनौतियों और जीवन की घटनाओं के बारे में पता लगाया जा सकता है। 360 डिग्री में 12 राशियों की जगह होती है और हर चिन्ह 30 डिग्री में बंटा हुआ होता है। हमारी कुंडली में हर ग्रह अपनी जगह से 180 डिग्री पर स्थित रहते हैं। जब कोई ग्रह किसी राशि में होता है तो वह ग्रह जो उपलब्ध होता है उसकी युति के अनुसार प्रभाव डालता है। Grahon ki Degree जीवन पर अच्छे और बुरे दोनों तरह से प्रभाव डालती है जैसे सूर्य के साथ यदि कोई और ग्रह आ जाता है तो वो अस्त हो जाता है।
कुंडली में Grahon ki Degree का महत्व
कुंडली में Grahon ki Degree पता चलने से ये पता चल जाएगा कि कोई ग्रह आपके जीवन पर कैसा प्रभाव डालेगा। ग्रहों की पांच अवस्थाएँ हैं – बाल, कुमार, युवा, वृद्ध और मृत अवस्था। इन अवस्था के अनुरूप ही ग्रहों का प्रभाव होता है। ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह का 30 अंश माना गया है। 24-30 अंश तक मृतावस्था का माना जाता है। 0-18 अंश तक बाल अवस्था का माना जाता है। 18-24 तक प्रौढ़ एवं 24-30 अंश तक वृद्ध मानते हैं और शून्य 0 अंश होने पर मृत माना जाता है।
ग्रहों की 0-1 डिग्री
ज्योतिष में 0-डिग्री को मृत्यु माना जाता है, बच्चे के जन्म 0 डिग्री से शुरू होता है और यहीं से बढ़ना शुरू हो जाता है। यदि कोई ग्रह 0-1 डिग्री के बीच स्थित हो तो उसे शिशु कहते हैं। यह ग्रह की बाल स्थिति होती है और 30-32 वर्ष के बाद इसके परिणाम मिलते हैं। इसलिए जब ये शक्तिशाली हो जाता है तब इसका प्रभाव जातक के लिए बहुत शुभ होता है।
ग्रहों की 1-5 डिग्री
इसे ग्रह की युवा अवस्था या किशोरी अवस्था भी कहा जाता है। 1-5 डिग्री पर ग्रह जीवंत और सक्रिय होते हैं। इस समय ग्रह में ऊर्जा का प्रवाह बहुत अधिक होता है और ये दशा जीवन के मकसद को पूरा करने में मदद करती है। अगर ऐसा ग्रह किसी अन्य प्रभावशाली ग्रह के साथ मिल जाता है तो इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।
ग्रहों की 6-17 डिग्री
इस अवस्था में अपने आप को हर बाधा के लिए तैयार करना चाहिए। यह ग्रह की वयस्क अवस्था होती है जिसमें अपनी पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इस अवस्था में कोई भी खतरा उठाने से पहले जातक सोचता नहीं है। बिना अनुभव के सिर्फ अपने आत्मविश्वास के आधार पर व्यक्ति आगे बढ़ता चला जाता है। ये अवस्था उच्च डिग्री पर स्थित ग्रहों की स्थिति पर निर्भर होती है।
ग्रहों की 18-25 डिग्री
इस डिग्री में जब ग्रह होता है तो व्यक्ति समझदार बन जाता है और यह ग्रह की परिपक्व अवस्था मानी जाती है। यह अवस्था व्यक्ति को परिपक्व इंसान की तरह फैसले लेने के लिए मजबूर करती है। ये वह श्रेणी है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन का अहम अनुभव प्राप्त करता है और इसके अच्छे, बुरे, हर प्रकार के प्रभाव को झेलता है।
ग्रहों की 26-29 डिग्री
इस डिग्री पर शनि, राहु, केतु, मंगल का 0-1 डिग्री या 26- 29.99 के बीच होना बहुत अच्छा माना जाता है। इस अवस्था में सभी पापी ग्रहों के बुरे परिणाम देने की क्षमता ख़त्म हो जाती है। 26 से 29 डिग्री हमारे जीवन के पूर्व चरण का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें सभी अशुभ ग्रह अपनी हानी पहुचाने की क्षमता को खो देते हैं और उनका प्रभाव ख़तम हो जाता है।
Grahon Ki Degree की सम्पूर्ण जानकारी के लिए देखें यह वीडियो:
निष्कर्ष
Grahon ki Degree का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। हर अवस्था में डिग्री के अनुसार ही हमारे जीवन के आयोजनों का अंदाज़ा लगाया जाता है। ग्रह विभिन्न राशियों और घरों में अलग-अलग व्यवहार करते है इसलिए इनके बारे में जानना जरूरी है जिससे आने वाली प्रॉब्लम्स को टाला जा सके।
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