Vat Savitri Vrat Katha: जानें कब है वट सावित्री व्रत 2024 में व पूजा विधि।

You are currently viewing Vat Savitri Vrat Katha: जानें कब है वट सावित्री व्रत 2024 में व पूजा विधि।

वट सावित्री व्रत में सुहागन महिलाएँ बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। ऐसा करने से पति को लंबी आयु का वरदान मिलता है और संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है। विधि विधान से पूजा करने के बाद Vat Savitri Vrat Katha भी पढ़नी चाहिए तभी ये व्रत पूरा माना जाता है। इस साल वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त 6 जून 2024 को है। वट सावित्री व्रत जयेष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार को वट अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। बरगद के पेड़ की हिंदू धर्म में बहुत मान्यता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीर्थ का वास है।

मुहूर्त:

तिथि आरंभ – 05 जून 2024, 07:54 बजे

तिथि समाप्त – 06 जून 2024, शाम 06:07 बजे

Vat Savitri Vrat Katha

इस कथा के अनुसार, मद्र साम्राज्य के राजा अश्वपति और उनकी रानी ने “सूर्य देव सवित्र” के सम्मान में पूजा की। उनकी भक्ति से प्रभावित होकर उन्हें एक बेटी दी जिसका नाम सावित्री रखा गया। अपनी बेटी के लिए जीवनसाथी ढूँढ़ने में असफल होने के बाद राजा ने सावित्री को उसके लिए एक पति की तलाश करने का निर्देश दिया। जीवनसाथी की तलाश में, सावित्री की मुलाकात राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से हुई। अपने पिता को सत्यवान के बारे में बताने के बाद नारद मुनि ने बताया कि सत्यवान अल्पायु है और विवाह के एक साल के अंदर ही उसकी मौत हो जाएगी।

बहुत समझाने के बाद भी जब सावित्री नहीं मानी तो उन दोनों का विवाह हो गया। जिस दिन सत्यवान की मृत्यु होने वाली थी सावित्री भी उनके साथ वन गई। वन में एक पेड़ पर चढ़ते ही सत्यवान के सर में दर्द होने लगा और इसके बाद सामने स्वयं यमराज आ गये। जैसे ही यमराज दक्षिण दिशा की ओर चलने लगे, सावित्री भी उनके पीछे चलने लगी। जब यमराज ने सवित्री को लौटने को कहा तो सवित्री ने कहा कि जहां तक ​​उनके पति जाएंगे वहां तक ​​वो भी जाएंगी और हिंदू धर्म में यही मान्यता है। उनके इस भाव को देखकर यमराज प्रसन्न हुए और उन्हें 3 वरदान मांगने को कहा।

सावित्री ने पहली इच्छा में ये माँगा की उनके सास-ससुर दुबारा देख सकें। दूसरी इच्छा में खोया हुआ राज्य वापस मांगा और तीसरे वरदान में सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान मांगा। इस तरह यमराज के तथास्तु बोलने पर सत्यवान के प्राण उन्हें वापस मिल गए और वट वृक्ष के नीचे पड़े उनके शरीर में दोबारा जान आ गई।

Vat Savitri Vrat Katha की पूजा विधि

इस दिन सुबह नहाकर मंदिर में दिया जलाना चाहिए। इस व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है और उसपे पवित्र धागा बांधा जाता है पति की लंबी आयु के लिए। इसके लिए सबसे पहले सावित्री और सत्यवान की मूर्ति को पेड़ के नीचे रखें। मूर्ति पर जल अर्पित करने के बाद लाल कलावे को पेड़ पर सात बार बांध कर उसकी परिक्रमा की जाती है और Vat Savitri Vrat Katha को ध्यान से सुना जाता है और फिर ये पूजा संपन्न होती है।

वट सावित्री के व्रत के दिन दान करना शुभ माना जाता है इसलिए सुहाग के सामान को दान करना चाहिए। इस दिन सुहागन महिलाओं को काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए क्योंकि वो अशुभ माने जाते हैं और सुहाग से जुड़े सभी आभूषण और श्रृंगार करने चाहिए। ये व्रत पत्नी का पति के लिए निस्वार्थ प्यार दिखाता है। अगर कोई सुहागन चाहे तो यमराज से अपने पति के प्राण वापस ला सकती है। सच्चे मन से ये व्रत रखने से पति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

Vat Savitri Vrat Katha इस बात का प्रमाण है कि अगर पत्नी चाहे तो अपने सुहाग को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। उसका निस्वार्थ प्यार उसके पति को लंबी आयु और उसे संतान प्राप्ति का वरदान दिला सकता है।

ज्योतिष से संबंधित और किसी भी जानकारी के लिए Vedic Astro Kendra से संपर्क करें।

Vedic Astro Kendra

Mobile No.:+91-9810817817

WhatsApp: +91-9810817817

हमारी सेवाओं में ऑनलाइन पूजायंत्र और कवचकुंडली विश्लेषण (जन्म कुंडली का निर्माण और व्याख्या), वास्तु शास्त्र परामर्श, साथ ही रत्न और रुद्राक्ष के लिए व्यक्तिगत सिफारिशें शामिल हैं।