Atmakarak Grah: जानें कौन है आपका आत्मकारक ग्रह व इसका ज्योतिषीय महत्त्व।

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ज्योतिष शास्त्र में Atmakarak Grah का बहुत महत्व होता है। हमारी लग्न कुंडली में सबसे ज्यादा अंश का कारक ग्रह हमारा Atmakarak Grah होता है। आत्मकारक ग्रह राजा के समान होता है और ये हमारी कुंडली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि यह ग्रह उन इच्छाओं को दर्शाता है जिसकी वजह से आत्मा ने धरती पर जन्म लिया है। इस ग्रह की सहायता से व्यक्ति के स्वभाव और व्यक्तित्व का विश्लेषण किया जाता है।

जातक की कुंडली में यह ग्रह इस बात का संकेत देता है कि अपने लक्ष्यों को पूरा करने में आप कितने मज़बूत हैं और आप कैसे खुद से जुड़े हुए हैं। अगर इस ग्रह का संयोजन किसी शुभ ग्रह के साथ हो जाता है तो इसकी ताकत बढ़ जाती है। यदि किसी कारण कमज़ोर आत्मकारक ग्रह है तो व्यक्ति कमज़ोर बनता है। ज्योतिषियों द्वारा नक्षत्र, राशि, और राशि की स्थिति समझने के बाद ही आपके आत्मकारक ग्रह का पता लगता है जिसका प्रभाव आपकी आत्मा और उसके उद्देश्य पर पड़ता है।

Atmakarak Grah का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष में 7 मुख्य ग्रह में से कोई भी Atmakarak Grah बन सकता है। यह ग्रह अपने साथ पूर्व जन्म की इच्छाओं को लेकर आता है जो इस जन्म में उन्हें पूरी करने का मकसद रखता है। इस जन्म में आत्मा का क्या लक्ष्य है और उसे किस तरफ जाना है इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। इसके माध्यम से ये भी पता लगता है कि क्या हम अपने पूर्व जन्म से किसी तरह जुड़े हुए हैं या उसका असर इस जन्म में देखने को भी मिल सकता है। ज्योतिष में अलग-अलग ग्रह के आत्मकारक बनने पर अलग असर होता है। इस ग्रह की मदद से आप अपनी ताकत और कमज़ोरी को पहचान पाते हैं जिससे व्यक्तिगत विकास होता है। इसके साथ ही आत्म-खोज की यात्रा में आने वाली समस्याओं से उबरने में मदद मिलती है।

Atmakarak Grah का प्रभाव

Atmakarak Grah आपके जीवन के लक्ष्य को दर्शाता है और आपके द्वारा किये जाने वाले निर्णयों को दर्शाता है। यह आपको ये समझने में मदद करता है कि आप अपने जीवन में क्या चाहते हैं और आपकी आत्मा की क्या इच्छा है। आइये जानते हैं इसके प्रभाव के बारे में:

  1. सूर्य: सूर्य के आत्मकारक होने से व्यक्ति आत्मविश्वासी, साहसी और ऊर्जावान बनता है।
  2. मंगल: मंगल यदि आत्मकारक है तो आप साहसी या ऊर्जावान होने के साथ महत्वाकांक्षी होते हैं।
  3. चंद्रमा: इसके आत्मकारक होने से व्यक्ति रचनात्मक होने के साथ-साथ संवेदनशील और भावनात्मक होता है।
  4. बृहस्पति: बृहस्पति आपका आत्मकारक है तो आप बुद्धिमान, दयालु और आशावादी होते हैं।
  5. बुध: बुध के आत्मकारक होने से आप जिज्ञासु और बुद्धिमान होते हैं।
  6. शनि: शनि यदि आत्मकारक है, तो व्यक्ति अनुशासित, कर्मठ होता है।
  7. शुक्र: शुक्र आपका आत्मकारक है तो आप सुंदर, आकर्षक और कलात्मक होते हैं।
  8. राहु: राहु के आत्मकारक होने से व्यक्ति रहस्यमय, आकर्षक, और महत्वाकांक्षी होता है।
  9. केतु: केतु के आत्मकारक होने से व्यक्ति आध्यात्मिक और रहस्यमय होता है।

आत्मकारक ग्रह की सम्पूर्ण जानकारी के लिए देखें यह वीडियो:

निष्कर्ष

अगर कोई व्यक्ति अपने Atmakarak Grah के प्रभाव को समझ लेता है तो वो ऐसे निर्णय ले सकता है जिससे उसकी आत्मा के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलती है और वो उसका पूरा आनंद ले सकता है। ऐसा करके मनुष्य एक संतुष्टि और आध्यात्मिक विकास से भरा जीवन जी सकता है। इस प्रकार यह ग्रह आपकी आत्मा को उसके वर्तमान जन्म के लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम बनाता है ताकि वह मोक्ष की यात्रा पूरी कर सके। जन्म कुंडली में इस ग्रह को समझकर, ज्योतिष व्यक्तियों को मार्गदर्शन प्रदान करने में मदद करते है।

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